रहिमन धागा प्रेम का मत तोरो चटकाय – Rahim Dohe

Author: Nishant Singh Rajput | 2 months ago

रहिमन धागा प्रेम का : रहीम एक प्रसिद्ध दोहे में से रहिमन धागा प्रेम का मत तोरो चटकाय यह दोहा काफी प्रसिद्ध है बहुत सारे लोग इस दोहे को पूरा पढना चाहते है साथ ही दोहे का अर्थ जानना चाहते है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

तो आइये आपको यहाँ हिमन धागा प्रेम का मत तोरो चटकाय रहीम के इस दोहे को पढ़ते है।

हिमन धागा प्रेम का मत तोरो चटकाय

रहिमन धागा प्रेम का मत तोरो चटकाय – रहीम के दोहे

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय।
टूटे से फिर न मिले, मिले गाँठ परिजाय॥

अर्थात : रहीम का कहना है कि प्रेम का संबंध बहुत छोटा होता है। इसे तोड़ना या खत्म करना उचित नहीं है। प्रेम का बंधन, या बंधन, एक बार टूट जाता है, फिर इसे फिर से जोड़ना कठिन होता है, और अगर ऐसा होता है भी तो टूटे हुए बंधनों (संबंधों) के बीच गाँठ पड़ जाती है।

इसे भी पढ़े – रहीम के दोहे अर्थ सहित

उम्मीद करता हूँ की आपको यह रहीम के दोहा पसंद आया होगा अगर आपको इसके बारे में समझने में कोई दिक्कत हो या कोई सवाल है तो कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है हम आपके प्रश्न का उत्तर जरूर देंगे।

अगर ये पोस्ट आपको अच्छा लगा तो अपने दोस्तों के साथ आगे सोशल मीडिया पर जरुर शेयर करे।

इसे भी पढ़े :-

हमारे ऑफिसियल व्हाट्सएप्प चैनल को फॉलो करें 👉🏿 Follow Now

मै निशांत सिंह राजपूत इस ब्लॉग का फ़ाउंडर हूँ। मुझे अलग-अलग चीजों के बारे में लिखना और उन्हें आप तक पहुँचाने में रूचि है, मै करीब 3 वर्ष से अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहा हूँ। मेरे द्वारा लिखा गया कंटेंट आपको कैसा लगा, कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Leave a Comment