अनुच्छेद लेखन | Anuched Lekhan in Hindi

Author: Nishant Singh Rajput | 3 months ago

Anuched Lekhan : बहुत सारे छात्र जो स्कूली पढाई में है उन्हें अक्सर अनुच्छेद लेखन लिखने को विद्यालय में दिया जाता है यहाँ तक की अक्सर वार्षिक परीक्षाओ में भी अनुच्छेद लिखने को मिलता है ऐसे में अगर आप एक छात्र है तो आपको Anuched Lekhan लिखने आना चाहिए।

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यहाँ हम आपके लिए 10 अनुच्छेद लेखन के कुछ नमूने पेश किये है जिसे पढ़कर आप अनुच्छेद लिखना सिख सकते है।

Anuched Lekhan

अनुच्छेद लेखन किसे कहते है?

किसी विषय से सम्बद्ध विभिन्न महत्त्वपूर्ण बातों का सार-लेखन, अनुच्छेद- लेखन कहलाता है।

निबंध लेखन में कई अनुच्छेद होते हैं, जैसे—भूमिका, विस्तार, लाभ-हानि, उपसंहार आदि। लेकिन, इसमें इन सभी का सार एक ही अनुच्छेद में लिखा जाता है। इस प्रकार अनुच्छेद-लेखन निबंध का लघु रूप होता है।

अनुच्छेद लेखन हेतु आवश्यक निर्देश :

  1. अनुच्छेद जिस विषय पर लिखना है, उसपर ठीक ढंग से विचार कर लें ।
  2. विषय से सम्बद्ध विभिन्न महत्त्वपूर्ण बातों को मन में बैठा लें।
  3. उन बातों को सरल शब्दों में क्रमबद्ध रूप से लिख जाएँ।
  4. लच्छेदार या मुहावरेदार वाक्यों के प्रयोग से बचें।
  5. अनुच्छेद की रचना ऐसी हो कि गागर में सागर समाया हुआ लगे।
  6. विषय-वस्तु से सम्बद्ध आवश्यक सूचनाएँ छूट न जाएँ, इस बात का खयाल रखें।

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उदाहरण के लिए कुछ अनुच्छेद नीचे दिए जा रहे हैं—

1. गाय पर अनुच्छेद

गाय एक चौपाया पशु है। अत्यधिक उपयोगी होने के कारण इसे ‘माता’ का सम्मान दिया गया है। यह जीवन से मृत्यु तक सम्पूर्ण मानव-जाति के लिए अत्यंत ही उपयोगी है। यह कई नस्लों की होती है। इसके रंग और आकार अलग-अलग होते हैं।

यह प्रायः सभी देशों में पाई जाती है। यह सीधी स्वभाववाली एक शाकाहारी पशु है। यह मरने के बाद भी अपनी उपयोगिता सिद्ध करती है। अतः हमें इसके रख-रखाव और स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए।

2. वसंत ऋतु पर अनुच्छेद

भारत में मुख्यतः चार ऋतुएँ पाई जाती हैं— जाड़ा, गरमी, बरसात और वसंत। अपने विविध गुणों के कारण वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा या ‘ऋतुराज’ कहा जाता है। इस ऋतु में न तो झुलसा देनेवाली गरमी होती है और न कँपकँपाने वाली ठंड।

इसके आगमन के साथ ही सभी पेड़-पौधों में नई पत्तियाँ आ जाती हैं। बाग-बगीचे गुलजार हो उठते हैं। कोयल की कूक, भौरों का गुंजन और तितलियों का नर्तन सम्पूर्ण वातावरण को मदमस्त कर देता है। सभी सजीव प्राणियों के नस-नस में जवानी की तरंगे हिलोरें लेने लगती हैं।

3. पन्द्रह अगस्त

वर्षों की गुलामी और संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत अँगरेजों की दासता से मुक्त हुआ। इसके लिए हजारों भारतीय नर-नारियों ने अपना सर्वस्व निछावर कर दिया। ‘सिपाही विद्रोह’ से लेकर ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ तक सभी भारतीय कंधे से कंधा मिलाकर अँगरेजी साम्राज्य के विरुद्ध उठ खड़े हुए।

फलतः भारतमाता परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त हो पाई। इस दिन सारे देश में तिरंगा फहराया जाता है और झंडे को सलामी दी जाती है। राष्ट्रगान गाया जाता है। देश-भक्तों को याद किया जाता है। सारे देश में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

4. होली

होली हिन्दुओं का महान् पर्व है। यह वसंत ऋतु में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। फाल्गुन महीने में पूर्णिमा की रात को होलिका जलाई जाती है और दूसरे दिन सुबह से ही लोग एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं। क्या बच्चे, क्या जवान, सभी लोग इस पर्व के रंग में रंग जाते हैं।

कुछ लोग होली के रसीले गीतों पर झूम उठते हैं। इस दिन सभी लोग मीठे- मीठे स्वादिष्ट पकवान खाते और खिलाते हैं। चारों तरफ हँसी-खुशी का समाँ बँध जाता है। इस दिन समाज में भेद-भाव और दुःख-विषाद पूरी तरह मिट जाते हैं। ऐसा लगता है, मानो जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ हों।

5. महात्मा गाँधी

महात्मा गाँधी का पूरा नाम ‘मोहनदास करमचंद गाँधी’ था। इनका जन्म 2 अक्तूबर 1869 को पोरबंदर नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई था। इन्होंने सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह को अस्त्र बनाकर दक्षिण अफ्रीका में रहनेवाले अप्रवासी भारतीयों का कल्याण किया।

फिर बाद में उसी आधार पर, भारत को भी अँगरेजों की दासता से मुक्त कराया। ‘बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो और बुरा मत देखो’ के सिद्धांत पर चलनेवाला, सत्य, अहिंसा का यह पुजारी 30 जनवरी 1948 को संसार से विदा हो गया। हमें इनके आदर्शों पर चलना चाहिए।

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मै निशांत सिंह राजपूत इस ब्लॉग का फ़ाउंडर हूँ। मुझे अलग-अलग चीजों के बारे में लिखना और उन्हें आप तक पहुँचाने में रूचि है, मै करीब 3 वर्ष से अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहा हूँ। मेरे द्वारा लिखा गया कंटेंट आपको कैसा लगा, कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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